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Amitabh bachchan Biography in Hindi | अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

Amitabh bachchan Biography in Hindi | अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

अमिताभ बच्चन जी का जन्म 11 अक्टूबर 1942 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ. उनके पिता हरिवंश राय बच्चन एक हिंदू थे और एक जाने-माने अवधि हिंदी कवि भी थे. उनकी मां तेजी बच्चन एक सिख परिवार से थी. क्या आप जानते हैं की उनके माता-पिता ने इंकलाब जिंदाबाद के नारे से प्रेरित होकर इंकलाब रखा था जिसका मतलब है क्रांति लंबे समय तक चलती रहे हालांकि उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने अपने दोस्त सुमित्रानंदन पंत के कहने पर अपने बेटे का नाम  इंकलाब से बदलकर अमिताभ रख दिया यानी कि एक ऐसी रौशनी जो कभी नहीं बुझेगी। 

अमिताभ बच्चन जी के पिता का नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव था और बच्चन उनका  pen name था लेकिन अमिताभ बच्चन जी ने अपने पिता के pen name को ही अपना surname चुना. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के करोड़ीमल कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। अमिताभ जी के एक्टर बनने के फैसले को उनके परिवार ने पूरी तरह सपोर्ट किया खासकर उनकी मां ने जो उनसे हमेशा कहती थी कि तुम एक हीरो बनना ।

एक लंबा और दुबला पतला आदमी जिसे उसकी भारी आवाज के लिए जाना जाता था वह सपनों के शहर मुंबई आया और अपनी इसी दुबलेपन और भारी आवाज की वजह से ही जाने कितने रिजेक्शन झेले। फिल्म मेकर्स ने उन्हें इसलिए रिजेक्ट कर दिया क्योंकि उनकी हाइट 6 फिट 3 इंच थी और इस वजह से किसी को भी उनसे ज्यादा कोई उम्मीद नहीं थी कि वह ज्यादा अच्छा परफॉर्म कर पायेंगे। यहां तक कि ऑल इंडिया रेडियो ने भी उन्हें रिजेक्ट कर दिया। आखिर में उन्होंने फैसला किया कि बस बहुत हो गया अब मुझे यह फिल्में नहीं करनी। लेकिन इससे पहले कि वह फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कहते  उन्हें मिल गई उनकी पहली फिल्म “सात हिंदुस्तानी” जिसके लिए उन्होंने नेशनल अवार्ड भी जीता।

1969 में फिल्म bhuvan shone में उन्होंने पहली बार एक voice artist के तौर पर  काम किया। इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिला। 

 इसके बाद 1971 में उन्होंने फिल्म “आनंद” में डॉक्टर का किरदार निभाया. इस किरदार ने उन्हें उनका पहला फिल्म फेयर अवार्ड फॉर बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर दिलवाया. इसके बाद उन्होंने “रेशमा और शेरा”, गुड्डी , मुंबई टू गोवा, जैसी कई फिल्मों में काम किया हालांकि इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कुछ खास कमाई नहीं की। अमित जी 30 साल की उम्र पार कर चुके थे और उनके खाते में ज्यादा हिट फिल्में नहीं थी और  उनके फिल्मी जगत से कोई कनेक्शन भी नहीं थें इस वजह से उन्हें फिल्मे मिलनी लगभग बंद ही हो गई ।

लेकिन एक बार फिर उनकी किस्मत का तारा चमका जब  स्क्रीन राइटर सलीम जावेद अपनी फिल्म “जंजीर” की स्क्रिप्ट के लिए एक बेहतरीन अभिनेता ढूंढने लगे। यह वह दौर था जब रोमांटिक हीरो से फिल्म इंडस्ट्री भरी पड़ी थी लेकिन क्योंकि फिल्म की स्क्रिप्ट थोड़ी वायलेंस यानी मारधाड़ वाली थी इसलिए कई एक्टर्स ने उसे ठुकरा दिया। तब सलीम जावेद की मुलाकात अमिताभ बच्चन से  हुई और उन में उन्हें वह टैलेंट दिखा जो उन्हें चाहिए था और यह फिल्म अमिताभ बच्चन जी ने साइन की । यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा चुकी थी और तब उन्हें उनका पहला Filmfare nomination for best actor मिला. इस फिल्म के बाद ही उन्हें “एंग्री यंग मैन ऑफ बॉलीवुड” कह कर जाना जाने लगा .

इसके बाद वह कई फिल्मों में नजर आए। उन्होंने नमक हराम,  कुंवारा बाप,  रोटी कपड़ा और मकान,  मजबूर जैसी कई फिल्में की जिन्होंने उन्हें स्टार बना दिया। 

 1983 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी “कुली”. इस फिल्म की शूटिंग बैंगलोर यूनिवर्सिटी कैंपस में  चल रही थी। इस फिल्म में उन्हें एक stunt perform करना था और उस स्टंट को परफॉर्म  करने के दौरान वह गिर गए और उनका पेट टेबल के कोने से लगा जिसकी वजह से उन्हें splenic rapture हुआ जिसकी वजह से उनका काफी ब्लड लॉस हुआ।  उन्हें Splenectomy  करवानी पड़ी और वह मौत के काफी करीब पहुंच गए हालाकी वह जल्दी ठीक हो गए। इस एक्सीडेंट की वजह से कूली एक कंट्रोवर्शियल फिल्म बन गई और इस वजह से वह फिल्म हिट साबित हुईं।

 लेकिन उनके इस बीमारी ने उन्हें काफी कमजोर बना दिया था और उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लेने का फैसला किया। एक लंबे ब्रेक के बाद 1988 में उन्होंने फिल्म शहंशाह से वापसी की और यह फिल्म हिट हुई। हालांकि इसके बाद उनकी फिल्मे जादूगर, तूफान, मैं आजाद हूं बॉक्स ऑफिस पर कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सकी।

 इसके बाद 5 साल तक उन्होंने रिटायरमेंट लेने का फैसला किया। अपनी रिटायरमेंट पीरियड में उन्होंने “अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड” कंपनी शुरू की। इस कंपनी ने 1996 miss world peagent मैं भारी भरकम रकम कंट्रीब्यूट किया लेकिन फायदे से ज्यादा नुकसान हो गया। ऐसे ही कुछ और नुकसान के चलते उन्हें यह कंपनी साल 2000 में बंद करनी पड़ी।

इसके बाद साल 2000 में 57 की उम्र में उन्हें एक और झटका लगा जब उनकी एक के बाद एक मूवीस फ्लॉप होने लगी और उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होने लगी उन्होंने लगभग सब कुछ हो ही दिया लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कौन बनेगा करोड़पति और फिल्म मोहब्बतें के साथ एक बार दोबारा शुरुआत की। उनके इस फैसले में उनकी पत्नी जया बच्चन ने उनका साथ दिया । हालांकि उन्हें ज्यादा उम्मीद नहीं थी और उन्होंने कहा भी कि फिल्मी दुनिया से टीवी का एक शो होस्ट करना कहीं हमारी हालत और खराब ना कर दे । तो उस समय अमिताभ बच्चन जी ने कहा की एक भिखारी को के पास ऑप्शन नहीं होते उसे जो मिलता है उसे उसी में काम चलाना पड़ता है।

  इसके बाद उन्होंने फिल्मों में वापसी की और बागबान, पा, कभी ख़ुशी कभी ग़म,  भूतनाथ जैसी फिल्में की जिसने उनके एक्टिंग करियर को एक बार फिर पटरी पर ला दिया।

एक बार अमिताभ बच्चन ने कहा था कि बैड लक या तो आपको पूरी तरह बर्बाद कर देगा या फिर आपको वह बना देगा जिसका आपने शायद कभी सोचा भी ना हो । उनकी मेहनत और लगन की वजह से ही आज वह इस ऊंचाई तक पहुंचे हैं कि लोग उन्हें “बिग बी” या बॉलीवुड का शहंशाह कह कर बुलाते हैं । उन्होंने अपनी failures को accept किया. उन से भागे या डरे नहीं. उन्होंने अपने अंदर के जुनून को मरने नहीं दिया और हमेशा अपनी गलतियों से सीखा. जो हो गया सो हो गया लेकिन जो गलतियां पहले हुई थी उन्हें दोबारा कभी नहीं कराऊंगा यही उनका मंत्र था. 

तो दोस्तों यह थी कहानी अमिताभ बच्चन जी की जिंदगी की । उनकी स्ट्रगल और उनकी सक्सेस की।

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