Ajit doval Biography in Hindi| Ajit doval जीवन परिचय

दोस्तों जब भी नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ी कोई न्यूज़ आती है तब प्राइम मिनिस्टर श्री नरेंद्र मोदी जी के साथ आपने एक काला कोट पहने आदमी को भी देखा ही होगा । आंखों पर चश्मा और हाथ में फाइलें । तो दोस्तों हमारी आज की कहानी प्राइम मिनिस्टर मोदी जी के साथ चलने वाले इसी शख्स की है। यह शख्स नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल हैं। वैसे क्या आप जानते हैं कि इन्हें इंडिया का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है ? लेकिन इन्हें जेम्स बॉन्ड यूं ही नहीं कहा जाता। इन्हें जेम्स बांड कहे जाने के पीछे इनकी जासूसी और बहादुरी के कई किस्से हैं और आज हम उन्हीं कुछ किस्सों के बारे में बात करेंगे।
उनके कुछ ऐसे मिशन जिनमें उन्होंने अपनी बहादुरी और काबिलियत से सबको हैरान कर दिया ।
उनका पहला मिशन था नॉर्थ ईस्ट में। जहां 1996 में मिजो नेशनल फ्रंट ने अलग सॉवरेन स्टेट(sovereign state ) बनाने के लिए बगावत कर दी। उस समय अजित कुमार डोभाल अंडरकवर एजेंट बनकर वहां पहुंचे और नेशनल फ्रंट के सात में छह कमांडर्स पर जीत हासिल कर ली और इस तरह वहां का माहौल शांत हुआ।
अजित जी का दूसरा मिशन था कश्मीर में। जहां जम्मू-कश्मीर आवामी लीग के फाउंडर कुका पारे जो कश्मीर में काउंटरइनसरजेंशी मूवमेंट(counter insurgency movement) के नायक थे वह असल में टेरेरिस्ट के सपोर्टर थे। लेकिन अजीत डोभाल ने उनहें आर्मी के जवानों की terrorists सेलड़ने में मदद करने के लिए राजी कर लिया। कमाल है ना!!
अजित जी का अगला mission था- पाकिस्तान। आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि अजीत डोभाल ने पाकिस्तान में 7 साल!! जी हां आपने सही सुना 7 साल अंडरकवर एजेंट के तौर पर बिता दिए। वह 7 साल एक ऐसे देश में रहे जिसका भारत से 36 का आंकड़ा है, जहां अगर भनक भी लग जाती थी अजीत भारत के जासूस हैं तो यह सभी जानते हैं कि अजित के साथ क्या होता। ऐसी जगह पर तो 7 मिनट रहना भी बहुत मुश्किल है । पाकिस्तान में जासूसी के दौरान उन्होंने भारत को पाकिस्तान के न्यू क्लियर डेवलपमेंट (nuclear development) से जुड़ी कई खुफिया जानकारियां दी ।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या वह कभी पकड़े नहीं गए? अजीत डोभाल एक अव्वल दर्जे के जासूस है। पाकिस्तान में जासूसी के दौरान वहां के लोगों की तरह ही एक मुस्लिम बन कर रहे, मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ते थे और उर्दू भाषा में बात करते। लेकिन एक बार जब वह मस्जिद के बाहर बैठे थे तब एक बूढ़ा आदमी उनके पास आया और कहने लगा कि तुम हिंदू हो, यहां क्या कर रहे हो ? इस पर अजीत चौंके। तब वह बूढ़ा आदमी उन्हें अपने साथ एक बंद कमरे में ले गया और उनसे कहा कि तुम हिंदू हो, तुम यहां क्या कर रहे हो? इस पर अजित ने कहा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं ?तब बूढ़े आदमी ने उनके कानों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हिंदू ही कानों में छेद करवाते है, एक मुस्लिम नहीं। तब अजीत ने कहा कि मैं पहले हिंदू था लेकिन फिर मैंने अपना धर्म बदल कर मुस्लिम धर्म अपना लिया। वैसे अजीत दोवाल सिर्फ एक बहुत ही अच्छे जासूस ही नहीं बल्कि संकट की स्थिति में कैसे शांत रहा जा सकता है इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। अगर कोई और होता तो ऐसे पकड़े जाने पर ना जाने उसकी क्या हालत होती। पर अजीत दोवाल ऐसी हालत में भी इतना शांत रहे। ताज्जुब की बात है!! वह बूढ़ा आदमी खुद पहले एक हिंदू था लेकिन बाद में उसने अपने परिवार की मौत के बाद मुस्लिम धर्म अपना लिया और अजीत को उन्होंने सलाह दी कि वह अपने कानों के छेद बंद करवा ले वरना मुश्किल में पड़ सकते हैं और इस तरह पाकिस्तान में 7 साल अजीत डोभाल ने एक अंडरकवर एजेंट के रूप में बिताए और भारत की मदद की और सबसे बड़ी बात कि वह सही सलामत वापस भारत लौट आए और पाकिस्तान को पता भी ना चला।
अजीत का अगला मिशन था अमृतसर का golden temple. साल 1989 में गोल्डन टेंपल पर कुछ आतंकियों ने हमला कर दिया और वहां अंदर कितने लोग फंसे थे और कितने आतंकवादी थे यह जान पाना भी मुश्किल हो रहा था । अंदर फसे लोगों में romanian diplomat livin radu भी थे। होम मिनिस्टर ने आर्मी पर दबाव डालना शुरू किया कि वह जल्द से जल्द कोई एक्शन ले। लेकिन बिना अपने दुश्मन की संख्या जाने और बिना उसकी ताकत का अनुमान लगाए हमला करना अंधे कुएं में कूदने जैसा था। एक तरफ जहां सेना आतंकवादियों को कैसे कंट्रोल में लाया जाए यह सोच रही थी वहीं दूसरी तरफ गोल्डन टेंपल के बाहर आतंकवादियों ने एक आदमी को पकड़ा जो देखने में रिक्शावाला लग रहा था । अंदर आने पर उसने बताया कि वह आईएसआई (ISI agent) है और इंडियन गवर्नमेंट से लड़ने में आतंकवादियों की मदद करेगा । यह सुन आतंकवादी बड़े खुश हुए और खुशी खुशी में अपना सारा प्लान उसे बता दिया। थोड़ी देर में इंडियन आर्मी गोल्डन टेंपल के अंदर आई और एक-एक कर सारे आतंकवादियों को ढेर कर दिया। पर जाते-जाते उस आईएसआई के एजेंट को छोड़ गई । वहां देखने वाले लोग भी हैरान और शायद मरते मरते आतंकवादी भी हैरान कि आई एस आई एजेंट को क्यों छोड़ दिया गया ? असल में वह आईएसआई एजेंट नहीं इंडिया का अंडरकवर एजेंट था । जी हां वह और कोई नहीं हमारे जेम्स बॉन्ड अजीत डोभाल थे जिन्होंने आर्मी को अंदर की सिचुएशन समझने में मदद की और इस तरह यह मिशन भी सक्सेसफुली कंप्लीट हुआ।
IC814 hijack में नेगोसिएशन (negotiation) से लेकर साल 1971-1999 तक 15 airplane hijack हुए और उन सभी हाईजैक्ड को टर्मिनेट करने में अजीत डोभाल शामिल थे।
अब जेम्स बॉन्ड का अगला मिशन था इराक से 46 भारतीय नर्सों को सही सलामत वापस लाना जो इराक में फंसी थी । हालांकि उनके सही सलामत वापस आने के आसार नजर नहीं आ रहे थे पर तभी प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी जी ने अजीत डोभाल को मिशन पर भेजा और हमेशा की तरह हमारे जेम्स बॉन्ड इराक में सीक्रेट मिशन पर पहुंच गए और भारत की नर्सों को सही सलामत वापस भारत लाने में मदद की।
अजीत डोभाल 30 मई 2014 से नरेंद्र मोदी जी के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर हैं । वह साल 2004 से 2005 तक इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर भी रह चुके हैं । उन्हें कीर्ति चक्र से भी नवाजा गया है। यह सबसे बड़ा गैलंट्री अवॉर्ड है जो सिर्फ मिलिट्री के जवानों को ही दिया जाता है लेकिन अजीत डोभाल के बहादुरी भरे कारनामों के कारण वह पहले पुलिस ऑफिसर बने जिन्हें कीर्ति चक्र मिला।
तो दोसतों, ये थी कहानी ajit doval की। जिनहोंने अपने देश के लिए कई बड़े बड़े कारनामे कर दिखाए और मुश्किल में भी हार नहीं मानी। उम्मीद है कि आपको आज की ये कहानी पसंद आई होगी ।