Ambati Rayudu Biography in Hindi | अंबाती रायडू का जीवन परिचय

दोस्तों देश की हर गली में अापने लड़कों को क्रिकेट खेलते तो देखा ही होगा । छोटे से लेकर बड़े तक में क्रिकेट का ऐसा क्रेज है की पूछिए मत और अगर कभी आप उनसे पूछें कि वह क्या बनना चाहते हैं तो शायद उनका सपना इंडियन क्रिकेट टीम की नीली जर्सी पहनने का ही होगा । ठीक ऐसे ही इंडियन क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने का सपना आंखों में लेकर एक नौजवान ने बैंगलोर के नेशनल क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन लिया लेकिन यह लड़का बाकी लड़कों से बहुत अलग था । इसके लिए क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं था बल्कि उसका पैशन था । इस लड़के में क्रिकेट का टैलेंट मानो गॉड गिफ्ट था और अपनी मेहनत से भगवान के दिए इस तोहफे को उसने और निखारा । उस लड़केकानाम था अंबती रयुडू । तो हमारी आज की कहानी इसी लड़के पर है । तो चलिए बिना देर किए कहानी की शुरुआत करें।
Ambati rayudu का जन्म 23 सितंबर 1985 में आंध्र प्रदेश के गंतूर में हुआ । उनके पिता का नाम संबा शिवा राव है । अंबती कहते हैं कि उनके पिता ही उनकी इंस्पिरेशन है । अपने पिता के कारण ही उन्होंने क्रिकेट को अपना करियर चुना । जब वह तीसरी कक्षा में थे तब उनके पिता उन्हें हैदराबाद की क्रिकेट एकेडमी में लेकर गए । उनके पिता खुद उनहें स्कूटर पर क्रिकेट campus तक छोड़ने जाते , अपने बेटे को हर दिन प्रैक्टिस करते हुए देखते और उनके हर match को वह दूर खड़े होकर देखते । अंबती ने अपनी स्कूली पढ़ाई सैनिकपुरी के श्री रामकृष्ण विद्यालय से पूरी की । ambati नेअपने क्रिकेट करियर की शुरुआत हैदराबाद के लिए under 16 और under 19 level पर खेल कर की। अंबती साल 2000 में अंडर 15 ट्रॉफी के लिए भी खेल चुके हैं और वह उस मैच के लीडिंग रन स्कोरर थे । उस टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाफ हुए मैच में वह मैन ऑफ द मैच बने । उनकी इस तरह से रन पाने की क्षमता को देखकर उन्हें हैदराबाद की सीनियर टीम स्क्वाड में भेजा गया जहां जनवरी साल 2002 में 16 साल की उम्र में वह हैदराबाद की तरफ से रणजी ट्रॉफी में खेले ।अगले साल वह इंडिया अंडर 17 टीम के कप्तान बने और इंडिया अंडर-19 के लिए खेलते हुए नजर आए ।
यूनिवर्सिटी के दिनों में भी ambati के दोस्त बैटिंग नेट हुआ करते जहां वह घंटों प्रैक्टिस करते हुए बिता देते और यह बल्ला ही यूनिवर्सिटी से उनके पास होने का एक अकेला रास्ता था । क्रिकेट की दुनिया में सफलता के लिए जो भी टैलेंट आपको चाहिए वह सब अंबती में था । जरूरत थी तो बस एक ऐसे मौके की जहां पर वह लोगों को अपना जादू दिखा सके । साल 2002 में इंडिया अंडर-19 के इंग्लैंड टूर के दौरान वह ओपनर batsman थे और उन्होंने तीन innings में 291 रन बना लिए और सीरीज के हाईएस्ट रन getter बने और हर टीवी चैनल और अखबार में उनका नाम छा गया । हर किसी को यकीन हो गया था कि अंबति एक दिन देश के लिए जरूर खेलेंगे । पर सवाल था कब ?
अंबति के चौके छक्केमारने और highest scores बनाने के किस्सेहर गली और शहर में मशहूर होने लगे । पर फिर एक समय ऐसा आया जब अंबति का गुस्सा उनके टैलेंट पर भारी पड़ने लगा । साल 2004 में हैदराबाद के कोच के साथ अंबति की कहासुनी हो गई और इसके बाद वह अगले सीजन के लिए आंध्र प्रदेश चले गए । साल 2005 में अर्जुन यादव के साथ उनका वाद विवाद हो गया जिसके बाद दोनों के बीच झगड़ा भी हुआ और उनका यही गुस्सा उनके विरुद्ध चला गया ।
वहअंबति जिन्हें हर कोई इंडियन क्रिकेट टीम में खेलता देखना चाहता था वह अब कहीं खो गए थे । फिर साल 2007 में उन्होंने इंडियन क्रिकेट लीग ज्वाइन किया और कई इंटरनेशनल stars के साथ खेले। ambati के क्रिकेट करियर में सबसे बड़ा मौका उन्हें साल 2010 में मिला जहां मुंबई इंडियंस के लिए खेलते दौरान वह एक बार फिर लाइमलाइट में आए । इस खेल में उन्हें क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के साथ खेलने का मौका मिला और एक बार फिर दुनिया अंबति रायुडु के टैलेंट को देख कर चौक गई । उनमें अच्छे सेअच्छे bowler को चक्कर खिला देने ताकत थी । उनकी batting इतनी अच्छी थी कि जल्दी ही वह मुंबई इंडियंस टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य बन गए । अंबाती रायुडु अपनी जिंदगी का काफी महत्वपूर्ण समय खो चुके थे लेकिन उनके अंदर जो देश के लिए खेलने का सपना था और इस सपने को पूरा करने का जुनून था उसने उन्हें आगे बढ़ते रहने का हौसला दिया ।
आज वह एक प्रोफेशनल क्रिकेटर है और डोमेस्टिक क्रिकेट में हैदराबाद के लिए खेलते हैं । वह Mumbai Indians के लिए IPL में खेल चुकेहैं और अब चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा है । मुंबई इंडियंस में उनकी बेहतरीन परफॉर्मेंस देखने के बाद उन्हें साल 2012 में पहली बार इंडियन स्क्वाड का हिस्सा बनाया गया । जुलाई साल 2013 में उनका पहला इंटरनेशनल डेब्यु हुआ । उनकी पहली ओडीआई जिंबाब्वे के खिलाफ थी जिसमें कप्तान विराट कोहली के साथ मिलकर वह team India को जीत की तरफ लेकर गए।
भले अंबती का सपना पूरा होने में समय लगा हो लेकिन उन्होंने मेहनत और लगन कभी नहीं छोड़ी और आज उनका सपना पूरा हुआ। आज एक बार फिर सभी अंबती के खेल के कायल हो गए हैं । तो उम्मीद है कि आपको आज की ये कहानी पसंद आई होगी लाइक करना ना भूलें सब्सक्राइब जरूर करें ।